Awadhiya kshatriye

          अवधिया रघुवंशी या अवधवंशी क्षत्रिये

अवधवंशी क्षत्रिये रघुकुल समाज के सूर्यवंशी लोग हैं, जो की 700 ई. पूर्व से अयोध्या निवास करते थे। जब लगभग 712 ई. में जब विदेशियों का आक्रमण भारत में होना शुरु हुआ, उस वक्त उनका मुख्य उद्देश में से एक ये भी था की वो अपने धर्म इस्लाम का प्रचार कर रहे थे, इस वजह से वो भारत वर्ष के सारे धार्मिक स्थानों पर अकर्मण करते थे, और लोगो का बड़े पैमाने में जरदस्ती धर्म परिवर्तित कर देते थे, और जो लोग उनका विरोध करते थे, तब विदेशी लोगों यहां मार काट मचाते थे और बल पूर्वक धर्म परिवर्तन कर देते थे और ज्यादा विरोध करने पर यह के लोगों के बहु - बेटियों को उठा ले जाते थे। उन्हीं आक्रमणकरी लोगों से अपने आप को बचने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अयोध्या के लोग सरयुग नदी के तट से होते हुए वहां से दूर जा कर नदियों के किनारे ही बसे और बड़े बड़े जमीनों के जमींदार के रूप में अपने आप को विकसित किया, अपनी पहचान अवधवंसी क्षत्रिय के रूप में बरकरार रखें, बाद में उनकी जनसंस्ख्या बढी और उनका विस्तार सरयू नदी से लेकर गंडक तक फैली और धीरे धीरे पुरे पूर्वी उत्तरप्रदेश से पश्चिम बिहार में गंगा के उत्तरी इलाको में फैला अब पूरे बिहार में अवधवंशी क्षत्रिय अवधिया नाम से जाने जाते हैं।

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